Monday, 16 February 2015

maha shivratri


   वस्त्रादि अलंकारों से रहित अंग में राख (भभूत) लपेटने का अर्थ यह है कि योगी ने अपनी ऊर्जा को अपने शरीर में ही रमा लिया। नतीजतन वह इतना स्वस्थ और सुन्दर दिखाई देता है कि उसे बाह्य अलंकारों की आवश्यकता ही नहीं।

शिव चरित की कुछ प्रसिद्ध घटनाएं हैं। एक कथा के अनुसार गंगा विष्णु का वह पादोदक है जिसे ब्रह्मा ने वामन रूपी विष्णु के चरण धोकर अपने कमंडल में भर लिया।

भगीरथ के पूर्वजों को शाप से मुक्त करने के लिए उस पादोदक यानी गंगा को शिव जी ने मृत्युलोक में भेजा। भगीरथ के पूर्वज उन मनुष्यों के प्रतीक है जो अपने कुसंस्कारों के कारण इतने पतित हो चुके है कि उनके उद्धार के लिए प्रचंड तप पुरुषार्थ की जरूरत हुई। ज्ञान की उस गंगा का अवतरण करने का सामर्थ्य किसी अन्य में नहीं था यह केवल शिव जैसी कल्याणकारी सत्ता द्वारा ही संभव है।

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